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Rahat Indori Ki Khubsoorat Shayariya - Part 1

आà¤à¤–ों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहà¥à¤¤ सारी रखो
राह के पतà¥à¤¥à¤° से बढ के, कà¥à¤› नहीं हैं मंजिलें
रासà¥à¤¤à¥‡ आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो
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जागने की à¤à¥€, जगाने की à¤à¥€, आदत हो जाà¤
काश तà¥à¤à¤•à¥‹ किसी शायर से मोहबà¥à¤¬à¤¤ हो जाà¤
दूर हम कितने दिन से हैं, ये कà¤à¥€ गौर किया
फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाà¤
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सूरज, सितारे, चाà¤à¤¦ मेरे साथ में रहें
जब तक तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ हाथ मेरे हाथ में रहें
शाखों से टूट जाठवो पतà¥à¤¤à¥‡ नहीं हैं हम
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें
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गà¥à¤²à¤¾à¤¬, खà¥à¤µà¤¾à¤¬, दवा, ज़हर, जाम कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हैं
में आ गया हॠबता इंतज़ाम कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हैं
फ़क़ीर, शाह, कलंदर, इमाम कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हैं
तà¥à¤à¥‡ पता नहीं तेरा गà¥à¤²à¤¾à¤® कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हैं
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कà¤à¥€ महक की तरह हम गà¥à¤²à¥‹à¤‚ से उड़ते हैं
कà¤à¥€ धà¥à¤à¤‚ की तरह परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ से उड़ते हैं
ये केचियाठहमें उड़ने से खाक रोकेंगी
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं
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